संघर्ष चलता रहा, लेकिन शांति को हाथ न आना था, नहीं आई... । अब सोचो तो कितना बेतुका है...
3.
जिसके लिए तूं खपे जीवन भर, मेरा धन मेरा घर! पल ही भी नहीं खबर रे प्यारे, फिर किसका धन किसका घर! अभी वकत है संभल जा प्यारे, कर ले अपने वारे न्यारे! उस परम प्रभु से लगन लगा रे, यूँ ही जीवन न गंवा रे! गया वक्त फिर हाथ न आना, फिर कल मल मल पछताना रे!